
भारतीय महिला टीम ने तीन मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला की शुरुआत सकारात्मक अंदाज में की, जब उसने श्रृंखला के पहले मैच में इंग्लैंड को चार विकेट से हराया। उन्होंने 10 गेंद शेष रहते जीत हासिल की।
दीप्ति शर्मा (64 गेंदों पर 62* रन) अंत तक डटी रहीं और मध्यक्रम की बल्लेबाजों के कई योगदानों से उन्हें मदद मिली। हालांकि, यह जीत और भी ज्यादा मायने रखती है; यह भारतीय महिला क्रिकेट इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा लक्ष्य था जिसे हासिल किया गया।
एकदिवसीय मैचों में भारतीय महिला टीम द्वारा चेज किये गए सर्वोच्च लक्ष्य (17 जुलाई, 2025 तक):
| विपक्षी टीम | क्रिकेट स्थल | वर्ष | लक्ष्य |
| ऑस्ट्रेलिया | मैके | 2021 | 265 |
| इंग्लैंड | साउथेम्प्टन | 2025 | 259 |
| न्यूजीलैंड | क्वीन्सटाउन | 2022 | 252 |
| दक्षिण अफ्रीका | वडोदरा | 2019 | 248 |
| दक्षिण अफ्रीका | कोलंबो | 2017 | 245 |
दिसंबर में वेस्टइंडीज की मेजबानी के बाद से, भारत ने अपने 12 वनडे मैचों में से 11 में जीत दर्ज की है। इंग्लैंड के खिलाफ पहले वनडे में मिली जीत ने टीम को सीमित ओवरों की सीरीज के दूसरे मैच में अजेय बढ़त लेने का खुद को एक मजबूत मौका दिया है।
मैच की बात करें तो, इंग्लैंड कम स्कोर पर अपने सलामी बल्लेबाजों के विकेट गंवाने के बाद दबाव में था, लेकिन एम्मा लैम्ब (50 गेंदों पर 39 रन) और नैट साइवर-ब्रंट (52 गेंदों पर 41 रन) ने पारी को संभाला। हालांकि, टीम का स्कोर 100 रन के पार पहुंचने से पहले ही ये दोनों आउट हो गईं।
सोफिया डंकली (92 गेंदों पर 83 रन) और एलिस डेविडसन-रिचर्ड्स (73 गेंदों पर 53 रन) के बीच पांचवें विकेट के लिए 106 रनों की साझेदारी ने इंग्लैंड को 50 ओवरों में 259/6 का स्कोर बनाने में मदद की। स्नेह राणा (10 ओवरों में 2/31) गेंदबाजों में सर्वश्रेष्ठ रहीं।
लक्ष्य का पीछा करने उतरी स्मृति मंधाना (24 गेंदों पर 28 रन) आउट होने से पहले क्रीज पर थोड़ी देर आराम से खेलती दिखीं। प्रतिका रावल (51 गेंदों पर 36 रन) और हरलीन देओल (44 गेंदों पर 27 रन) भी कुछ ही ओवरों के अंतराल पर आउट हो गईं, जिसके बाद दीप्ति और जेमिमा रोड्रिग्स (54 गेंदों पर 48 रन) ने मिलकर पारी को आगे बढ़ाया।
हांलाकि, जेमिमा अंत तक नहीं टिक सकीं, दीप्ति ने सुनिश्चित किया कि कोई रुकावट न आए और दूसरे छोर पर अमनजोत कौर (14 गेंदों पर 20* रन) के साथ मिलकर अपनी टीम को जीत दिलाई। सोफी एक्लेस्टोन (10 ओवरों में 1/34) इंग्लिश टीम की सबसे किफायती गेंदबाज रहीं।









