
भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच चल रही दो मैचों की टेस्ट श्रृंखला में भारतीय टीम के चयन और बल्लेबाज़ी क्रम में अजीबोगरीब बदलावों को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस छिड़ गई है। खास तौर पर ऑलराउंडर वाशिंगटन सुंदर सहित नितीश रेड्डी के इस्तेमाल को लेकर, विशेषज्ञों द्वारा टीम प्रबंधन से कई कठिन सवाल पूछे जा रहे हैं।
वाशिंगटन सुंदर का स्थान एक प्रमुख चर्चा का विषय रहा है, उन्हें कोलकाता में खेले गए पहले टेस्ट मैच में अप्रत्याशित रूप से नंबर 3 पर प्रमोट किया गया था। परन्तु गुवाहाटी में हुए दूसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में उन्हें नाटकीय रूप से नंबर 8 पर उतार दिया गया।
इस भ्रम के बीच, पूर्व भारतीय कप्तान और महान स्पिनर अनिल कुंबले ने इस प्रचलित चर्चा में भाग लेते हुए टेस्ट टीम में सुंदर की सर्वश्रेष्ठ भूमिका का निजी आकलन प्रस्तुत किया। कुंबले की यह टिप्पणी तब आई, जब सुंदर ने गुवाहाटी टेस्ट की पहली पारी में 92 गेंदों पर 48 महत्वपूर्ण रन बनाकर निचले क्रम में संघर्षपूर्ण प्रदर्शन किया। वह उस पारी में एकलौते ऐसे भारतीय बल्लेबाज़ थे, जो तकनीकी रूप से सक्षम दिखाई दिए।
सुंदर का कुलदीप यादव के साथ साहसी संघर्ष
स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क पर बोलते हुए, कुंबले ने स्पष्ट किया कि टीम प्रबंधन ने पिछले मैच में सुंदर को नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी करने का प्रयोग किया हो, लेकिन मेरा मानना है कि सुंदर का वास्तविक महत्व निचले क्रम में ही है। कुंबले ने कहा,”मैं जानता हूँ कि उन्हें (सुंदर को) पिछले मैच में बल्लेबाज़ी क्रम में ऊपर धकेला गया था, परन्तु मेरी मानें तो सुंदर को नंबर सात या आठ पर ही बल्लेबाज़ी करनी चाहिए।” उन्होंने तर्क दिया कि ये एक ऐसी पोजीशन है जहाँ सुंदर वास्तव में प्रभावी हो सकते हैं, और विपक्षी टीम को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सुंदर का योगदान तब सामने आया जब भारत 489 के विशाल स्कोर के जवाब में 122 पर 7 विकेट गंवाकर एक बड़े पतन का सामना कर रहा था। उन्होंने कुलदीप यादव के साथ आठवें विकेट के लिए 72 रनों की एक महत्वपूर्ण साझेदारी की, जिसने मेज़बान टीम को 200 के आंकड़े को पार करने में मदद की। कुंबले ने इस संकट के दौरान सुंदर के धैर्य की प्रशंसा की।
पूर्व भारतीय कप्तान ने आगे कहा कि, “मुझे लगता है कि सुंदर ने गेंदबाज़ों के सामने टिके रहने तथा कुलदीप यादव के साथ अत्यंत महत्वपूर्ण साझेदारी करने का साहस दिखाया, जो टीम के लिए अति आवश्यक था।”









