क्रिकेट जगत के दो पूर्व दिग्गज खिलाड़ी रवि शास्त्री और रिकी पोंटिंग ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हाल ही में हुई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में फैंस की रिकॉर्ड तोड़ उपस्थिति की सराहना की है। इन दोनों दिग्गजों ने सुझाव दिया है कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी क्रिकेट की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता के रूप में आने वाले समय में एशेज को पीछे छोड़ सकती है।
एशेज सीरीज पिछले कई सदियों से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही है, लेकिन हाल के सालों में बॉर्डर-गावस्कर का क्रेज अलग स्तर पर पहुंच चुका है। बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां रिकॉर्ड संख्या में फैंस मुकाबला देखने के लिए पहुंचे थे।
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में एक दशक से चला आ रहा भारत का दबदबा रविवार 5 जनवरी को खत्म हो गया। ऑस्ट्रेलिया ने पांच टेस्ट मैच की सीरीज 3-1 से अपने नाम की। इस सीरीज को देखने के लिए 8 लाख 37 हजार दर्शक स्टेडियम में पहुंचे, जो इस सीरीज में एक नया रिकॉर्ड है। इस पर भारत के पूर्व कोच और इस सीरीज में कमेंट्री करने वाले रवि शास्त्री ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आधुनिक युग में दोनों टीमों के बीच प्रतिद्वंद्विता असाधारण है।
BGT में फैंस की रिकॉर्ड तोड़ अटेंडेंस को लेकर बोले शास्त्री और पोंटिंग
शास्त्री ने ‘द आईसीसी रिव्यू’ में कहा, ‘‘एक आंकड़ा सामने आता है: मेलबर्न टेस्ट मैच में 3 लाख 75 हजार लोग गेट से होकर आए, जिसने 90 साल पहले के 3 लाख 50 हजार के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। पिछला रिकॉर्ड तब का था जब डॉन ब्रैडमैन ऑस्ट्रेलिया के लिए खेला करते थे। यह नया आंकड़ा मौजूदा समय की तमाम सुविधाओं के बीच आया है, जिसने नए स्टैंडर्ड सेट कर दिए हैं।’’
शास्त्री ने आगे कहा, ‘‘जब टेलीविजन है, जब ओटीटी प्लेटफॉर्म है। जब सब तरह की सुविधाएं मौजूद हैं, तब भी लोगों का स्टेडियम पहुंचना और क्रिकेट देखना, 3 लाख 75 हजार लोगों का (मेलबर्न में) आना और फिर सिडनी में इसे दोहराना, यह वास्तविकता से परे है।’’
वहीं पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने कहा कि, ‘‘अब जबकि यह सीरीज समाप्त हो गई है, अब ऑस्ट्रेलिया के अगली गर्मियों में इंग्लैंड के दौरे पर नजर रहेगी, जिससे यह पता चलेगा कि किस सीरीज में अधिक दर्शक पहुंचे। अगर आंकड़ा समान नहीं होता है तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि (बॉर्डर-गावस्कर) प्रतिद्वंद्विता बड़ी मानी जाएगी। निश्चित रूप से प्रशंसकों के दृष्टिकोण से। फिलहाल, यह तर्क देना वाकई मुश्किल है कि यह विश्व क्रिकेट में सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता नहीं है।”