साल 2002 में आज के दिन यानि कि 12 सितंबर को पहली बार क्रिकेट में प्रयोग के लिए नए नवेले नियम LBW by DRS को लाया गया था। इस नियम के अनुसार अगर ऑनफील्ड अंपायर निश्चित नहीं है कि कोई खिलाड़ी LBW आउट है, तो वह इसके लिए टीवी अंपायर की मदद ले सकता है।
गौरतलब है कि टीवी अंपायर का सबसे पहले इस्तेमाल साल 1991/92 में भारत के साउथ अफ्रीका दौरे पर किया गया था। जबकि क्रिकेट में हाॅक हाई तकनीक साल 1996 से इंटरनेशनल मैचों में इस्तेमाल होने लगी थी।
तो वहीं LBW by DRS नियम का इस्तेमाल सबसे पहले साल 2002 में हुई चैंपियंस ट्राॅफी में श्रीलंका बनाम पाकिस्तान मैच में देखने को मिला था। मुकाबले में वकार यूनुस ने बल्लेबाजी करने का फैसला किया और चौथे ओवर में युवा शोएब मलिक बल्लेबाजी करने आये। चामिंडा वास ने मलिक को एक सीधी गेंद फेंकी और यह उनके पैड पर जा लगी।
जैसे ही श्रीलंकाई गेंदबाज ने अपील की, तो ऑनफील्ड अंपायर डेरिल हार्पर ने टेलीविजन अंपायर रूडी कोएर्टजन की मदद लेने का फैसला किया। लेकिन जैसे ही टीवी अंपायर ने अपना फैसला सुनाया, तो शोएब मलिक LBW by DRS नियम के इस्तेमाल से आउट होने वाले पहले खिलाड़ी बन गए थे।
देखें किस तरह शोएब मलिक आउट हुए
दूसरी ओर, आपको इस मुकाबले के बारे में जानकारी दें तो पाकिस्तान 49.4 ओवर में मात्र 200 रनों पर ऑलआउट हो गई थी। पाक टीम के लिए सलामी बल्लेबाज सईद अनवर ने 52 रनों की बेस्ट पारी खेली, तो यूनिस खान ने 35, राशिद लतीफ ने 22 और मिस्बाह उल हक ने 47 रनों की पारी खेली। श्रीलंका की ओर से मुथैया मुरलीधरण और दिलहारा फर्नाडो को 3-3, तो पुलस्ती गुणारत्ने को 2 और चामिंडा वास को 1 विकेट मिला।
इसके बाद श्रीलंका ने पाकिस्तान से मिले 201 रनों के टारगेट को 36.1 ओवर में दो विकेट खोकर आसानी से हासिल कर लिया था। श्रीलंका के लिए सलामी बल्लेबाज सनथ जयसूर्या 102* तो अरविंद डिसिल्वा 66* रन बनाकर नाबाद रहे थे।