न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में भारतीय बल्लेबाज बुरी तरह संघर्ष करते हुए नजर आए थे। जिसका परिणाम रहा कि टीम इंडिया को तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में व्हाइटवॉश का सामना करना पड़ा। रोहित शर्मा और विराट कोहली ने क्रमशः 91 और 93 रन बनाए, जबकि यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल, ऋषभ पंत और सरफराज खान जैसे खिलाड़ी अच्छी फॉर्म में दिखे, लेकिन वह लगातार अच्छा नहीं खेल सकें।
भारत को अगले महीने ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना है, जहां बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तहत पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जानी है। ऐसे में भारतीय बल्लेबाजों का निरंतर प्रदर्शन न करना टीम मैनेजमेंट के लिए चिंता का विषय है। इस बीच पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने भारतीय बल्लेबाजों की मानसिकता के बारे में बात की।
उनका मानना है कि खिलाड़ियों की मानसिकता होती है कि अगर वे कुछ डॉट गेंदें खेलते हैं, तो वे हवाई शॉट खेल सकते हैं, जिसकी रेड बॉल क्रिकेट में कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जोखिम लेने की इस मानसिकता के कारण भारत जल्दी-जल्दी विकेट गंवा रहा है।
यह एक ऐसा दौरा हो सकता है जो बहुत सारे भविष्य तय कर सकता है- सुनील गावस्कर
गावस्कर ने इंडिया टुडे पर कहा, निश्चित रूप से स्वभाव की समस्या अधिक है, क्योंकि इस समय जो स्वभाव है, वो एक व्हाइट बॉल की लीगेसी है। क्या दो या तीन डॉट बॉल? हमें आगे बढ़कर खुद को गेंदबाजों पर थोपने की कोशिश करने की जरूरत है। इसलिए बड़े शॉट के लिए जाएं, अगर यह बढ़िया आता है तो हवाई शॉट के लिए जाएं। लेकिन जहां गेंद कुछ कर रही हो, वहां ये संभावनाएं बहुत कम होती हैं।
उन्होंने कहा कि, जब तकनीक मौजूद है, तो उसका स्वभाव यह है कि मैं ऐसा कर सकता हूं क्योंकि बाउंड्री छोटी हैं। बल्ले बहुत अच्छे हैं, लोग भी मजबूत हैं, इसलिए हम इसे स्टैंड में ला सकते हैं।
गावस्कर ने आगे कहा कि, मुझे लगता है कि यह एक ऐसा दौरा हो सकता है जो बहुत सारे भविष्य तय कर सकता है। और मैं आशा कर रहा हूं कि वह प्रश्न जो आप जानते हैं, ऑस्ट्रेलिया में स्वयं ही हल हो जाएगा क्योंकि वे, एक उम्र में और अपने करियर में एक ऐसे चरण में हैं, जहां दूसरी रिंग होगी जिसमें हम एक अवसर की तलाश में होंगे।