
भारत के अनुभवी बल्लेबाज और त्रिपुरा टीम के कप्तान मंदीप सिंह का मानना है कि भारत को फिर से घरेलू क्रिकेट को प्राथमिकता देनी चाहिए, खासकर फर्स्ट-क्लास क्रिकेट (रणजी ट्रॉफी) को।
उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट में भारत की हाल की हार, जैसे न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज हार, यह साबित करती है कि खिलाड़ियों में रेड-बॉल अनुभव की कमी है।
मंदीप ने बताया कि आजकल चयन ज्यादातर IPL और व्हाइट-बॉल फॉर्मेट के प्रदर्शन पर आधारित होता है, जिसकी वजह से खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट की कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करते हैं। हाल ही में कोलकाता और गुवाहाटी में दक्षिण अफ्रीका के स्पिनरों के सामने भारतीय बल्लेबाजों का लगातार ढहना इस बात का उदाहरण है।
उन्होंने कहा – व्हाइट-बॉल फॉर्मेट जैसे सैयद मुश्ताक अली, विजय हजारे और IPL में खेलकर आप T20 और एकदिवसीय के खिलाड़ी चुन सकते हैं। लेकिन टेस्ट क्रिकेट के लिए तैयारी बिल्कुल अलग होती है।
मंदीप का मानना है कि टेस्ट खेलने वाले बल्लेबाजों और स्पिनरों का फर्स्ट-क्लास रिकॉर्ड मजबूत होना अनिवार्य है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा – अजिंक्य रहाणे ने टेस्ट टीम में आने से पहले 3–4 साल रणजी में ढेरों रन बनाए। चेतेश्वर पुजारा ने भी ऐसा ही किया।
शुभमन गिल ने भी रणजी में दो तीन साल खेलकर अच्छी औसत बनाई, तब जाकर वह टेस्ट में आए। मंदीप ने यह भी कहा कि भारत ने इस सिस्टम से हटना शुरू कर दिया है, जिसकी वजह से खिलाड़ी बिना तैयारी के टेस्ट खेल रहे हैं और मुश्किल परिस्थितियों में असफल हो रहे हैं।
उम्र बाधा नहीं होनी चाहिए
मंदीप ने कहा कि चयन में उम्र को बाधा नहीं बनाना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया में 31 – 32 साल में खिलाड़ी डेब्यू कर रहे हैं, जैसे वेबस्टर और वेदराल्ड। अगर फिटनेस, फॉर्म और प्रदर्शन अच्छा है तो उम्र मायने नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि करुण नायर जैसे खिलाड़ी 30+ की उम्र में अपनी बेहतरीन फॉर्म में हैं और मौका मिलना चाहिए।









